Saturday, February 22, 2020

डोनाल्ड ट्रम्प सीएए और एनआरसी पर क्यों करेंगे बात...

(डा राज कुमार सिंह)

सवाल यह है कि भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिका हस्तक्षेप क्यों करना चाहता है और सरकार उसे इजाजत क्यों दे रही है। अमेरिकी प्रवक्ता के बयान की भारत सरकार को कड़े शब्दों में निंदा करनी चाहिए तथा यह स्पष्ट करना चाहिए की यह भारत का आंतरिक मामला है और भारत इस पर किसी से भी बातचीत नहीं करेगा, लेकिन भारत सरकार चुप है।इससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह संदेश जा रहा है कि भारत अमेरिका के दबाव में हैं। सरकार को तत्काल इस मुद्दे पर बयान जारी करना चाहिए।

वही ट्रंप के भारत में आने से देश को क्या लाभ होगा, यह भी देश को बताना चाहिए। क्या ट्रंप सिर्फ अमेरिका में होने वाले आगामी चुनाव में भारतवंशियों के वोट हथियाने तथा उन्हें लुभाने के लिए भारत आ रहे हैं या देश को उनके दौरे से कोई बड़ा लाभ होने वाला है। भारत में जिन मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उसमें ट्रंप किस हैसियत से कूदना चाहते हैं। सीए और एनआरसी पर विरोध दर्ज कर अमेरिकी राष्ट्रपति पाक समर्थित अपने वोटरों को भी साधने का प्रयास कर रहे हैं। यानी एक पंथ दो काज। ट्रम्प ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत के साथ कोई बड़ा व्यापारिक समझौता नहीं करेंगे। जबकि भारत सरकार ने अमेरिका से हेलीकॉप्टर तथा अन्य आयुध सामग्री खरीदने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर ली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक सख्त और बड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में देश देखता है। ऐसे में यदि ट्रंप के दौरे से भारत को कुछ खास हासिल नहीं होता है तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की छवि पर जरूर असर पड़ेगा।
ज्ञातव्य है कि शनिवार को अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने नागरिकता कानून(सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) पर कहा है कि हम इस बारे में चिंतित हैं, जो  मुद्दा उठाया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इन सभी मुद्दों पर बातचीत करेंगे।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में बताएंगे कि दुनिया यह देख रही है कि भारत अपनी लोकतांत्रिक मान्यताओं में आगे बढ़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में साझा लोकतंत्र और व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वतंत्रता की भी बात उठाएंगे।डोनाल्ड ट्रंप धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर भी बात करेंगे, जो अमेरिकी प्रशासन के लिए बेहद अहम है।

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